कुछ अनछुए सवाल जोहरा के बाद
बहुत कम कलाकार ऐसे होते हैं जिन्हें ताउम्र उनके दर्शक अपने दिलों के तख्त पर बिठा कर रखते हैं ,जोहरा सहगल भी एक ऐसी ही जीवंत कलाकार थीं। जिन्होंने अपने अभिनय के मिजाज से बाबस्ता ही लोगों की नजर अपनी ओर खींची। उनकी तमाम जिंदगी संघर्षों में बीती है। उनके जाने के बाद एक सवाल पैदा होना लाजिमी है कि एक बूढ़ी महिला कलाकार अपने स्वास्थ्य संबंधी कारणों और अपनी उम्र को देखते हुए एक आखिरी मांग यह रखती हो कि उसे पहली ग्राउंड फ्लोर पर घर दिया जाए ताकि उन्हें जीवन जीने में आसानी हो मगर सरकार को उन्हें घर देने में इतना वक्त लग गया कि तब तक जोहरा ने अपना घर किसी और दुनिया में तलाश लिया। यह घटना किसी पहले कलाकार के साथ नहीं हुआ है बल्कि इससे पहले भी शमसाद बेगम का उदाहरण कला जगत के सामने है कि लोकप्रियता की सीढ़ी से चलकर एक कलाकार फिर किस अंधेरे में गुम हो जाता है जहां से उसकी जिंदगी महज अंधरे का हमसफर हो जाती है। शमसाद बेगम के पास अपना घर तक रहने के लिए नहीं था और उनका आखिरी वक्त काफी गरीबी में गुजरा। शमसाद बेगम की खनकती आवाज के सभी दीवानें थे मगर उनकी आह की आवाज कभी बहरी दुनिया ने नहीं सुनी। ऐस