गीतों की जिंदगी

  • साहित्य और संगीत के क्षेत्र में एक बहस वर्षों से चली आ रही है कि कला को कला के लिए या फिर जीवन के लिए होना चाहिए। इस बहस में कलाकार दो वर्गों में विभक्त हैं। एक भाग उनका है जो यह कहते हैं कि कला का मुख्य पक्ष मनोरंजन करना है और दूसरा है कि कला का समाज के प्रति कुछ उत्तरदायित्व भी होना चाहिए। पीट सीगर ऐसे लोगों में से थे जो यह मानते थे कि जरूरत पड़ी तो कला का प्रदर्शन राजनीतिक विरोध के लिए भी हो सकता है। पीट सीगर का जन्म 3 मई 1919 को न्यूयार्क के पेटरसन में हुआ था। संगीत उन्हें विरासत में मिला था। सीगर ने अपनी कला का उपयोग विरोध जताने और लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए किया। उनकी गीतों में इस भावना की छाप साफ नजर आती थी जैसे “ सारे फूल कहां चले गए, हेमर गीत, टर्न टर्न टर्न, इत्यादि।लेकिन उनके दवारा गाए गीत वी शैल आवर काम ने सरहदों की सीमाएं तोड़ दी। उस गीत का प्रभाव इतना ज्यादा था कि भारत में उसका अनुवाद हम होंगें कामयाब आज तक लोगों की जुबां पर दर्ज है। अमेरिकी सरकार के विरोध में गाने के कारण इन्हें वहां की सरकार ने 50वें दशक में वामपंथी रूझान के कारण इन्हें ब्लेकलिस्ट में डाल दिया। इस घटना के बाद सीगर ने खुद स्कूलों और कॉलेजों का दौरा कर अपने गानों में दिए गए संदेश को छात्रों तक पहुंचाया। उनका गीत वी शैल ऑवर काम 1955-1968 के अफ्रीकी-अमेरिकी सिविल राइट्स मूवमेंट का थीम सॉन्ग था। 1996 में वह अमेरिका के रॉक एंड रॉल हॉल फेम में शामिल किए गए।1997 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ लोकगीत एल्बम के लिए ग्रैमी अवार्ड दिया गया। अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने उनके बारे में कहा था कि “ वह ऐसे कलाकार हैं जिनसे सरकार को मुश्किल होती है लेकिन उनमें चीजों को वैसा ही कहने की हिम्मत है, जैसा वह देखते हैं।“

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