शायद जिंदगी के जज्बात गीतों के उन गुथे हुए मालाओं की तरह ही होते हैं। जो हर मोती में जीने की चाहत देखना चाहते हैं और धागे में वादों से बंधी इक डोर ,मगर महज जज्बात ही जीने के लिए काफी नहीं होते जिंदगी की उन तमाम सच्चाईयों से मुख मोड़ा नही जा सकता है जो हमारे समय में मैक्सिम गोर्की के नोवेल पीले दैत्य की तरह हमारे शरीर को ही नही हमारी आत्मा को भी निचोड़ रहे हैं। 

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