गीतों की जिंदगी
साहित्य और संगीत के क्षेत्र में एक बहस वर्षों से चली आ रही है कि कला को कला के लिए या फिर जीवन के लिए होना चाहिए। इस बहस में कलाकार दो वर्गों में विभक्त हैं। एक भाग उनका है जो यह कहते हैं कि कला का मुख्य पक्ष मनोरंजन करना है और दूसरा है कि कला का समाज के प्रति कुछ उत्तरदायित्व भी होना चाहिए। पीट सीगर ऐसे लोगों में से थे जो यह मानते थे कि जरूरत पड़ी तो कला का प्रदर्शन राजनीतिक विरोध के लिए भी हो सक ता है। पीट सीगर का जन्म 3 मई 1919 को न्यूयार्क के पेटरसन में हुआ था। संगीत उन्हें विरासत में मिला था। सीगर ने अपनी कला का उपयोग विरोध जताने और लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए किया। उनकी गीतों में इस भावना की छाप साफ नजर आती थी जैसे “ सारे फूल कहां चले गए, हेमर गीत, टर्न टर्न टर्न, इत्यादि।लेकिन उनके दवारा गाए गीत वी शैल आवर काम ने सरहदों की सीमाएं तोड़ दी। उस गीत का प्रभाव इतना ज्यादा था कि भारत में उसका अनुवाद हम होंगें कामयाब आज तक लोगों की जुबां पर दर्ज है। अमेरिकी सरकार के विरोध में गाने के कारण इन्हें वहां की सरकार ने 50वें दशक में वामपंथी रूझान के कारण इन्हें ब्लेकलिस्ट में डाल दि